साज़िशों का तूं ही सैय्यद
अक़ीदत को मेरी तुमने
इतना जख़म दिया है
दिल लगता नहीं मेरा
चंद सिक्कों में बिक गया तूं
ख़ाहिशों का क़त्ल करके
मेरी बर्बादी का जनाज़
देखा बेफिक्र आँख भरके
गर्दिश में मेरी शख़्शियत
तेरी वजह से रहबर
रूठी हूँ मैं ख़फ़ा हूँ
ख़ुदा तेरी शरारत में।
उम्र भर के सारे तप को
शैल सिंह
दिल लगता नहीं मेरा
ख़ुदा तेरी इबादत में।
मेरे एहतराम का कटोरा
रीता किया है तुमने
तोड़ हस्ती का मनोबल
रूस्वा किया है तुमने।
मेरी शफ़्फ़ाफ़ कर्म निष्ठा
को घायल किया है तुमने
किस जुर्म की सज़ा हुई
ख़ुदा तेरी क़यामत में।
ख़िदमत में खोट थी क्या
क्या आयत में मेरे ख़ामी
थी मुझसे क्या अदावत
क्या तौक़ीर से मेरे हानी
क्या तौक़ीर से मेरे हानी
तेरे राजकोष से तो मैंने
कोई निधि नहीं चुराई
तेरा नाम जपते-जपते
छिल गई मेरी ज़बान
तेरे दर पे सज़दा कर-कर
मस्तक पड़ा निशान
साज़िशों का तूं ही सैय्यद
सुन हाकिम हूँ मैं हैरान
हुई हर बार हक़ की हत्या
ख़ुदा तेरी इज़ाबत में।तेरा नाम जपते-जपते
छिल गई मेरी ज़बान
तेरे दर पे सज़दा कर-कर
मस्तक पड़ा निशान
साज़िशों का तूं ही सैय्यद
सुन हाकिम हूँ मैं हैरान
क्या खूब हुई व्यूह रचना
ख़ुदा तेरी सियासत में।
ख़ुदा तेरी सियासत में।
चंद सिक्कों में बिक गया तूं
ख़ाहिशों का क़त्ल करके
मेरी बर्बादी का जनाज़
देखा बेफिक्र आँख भरके
गर्दिश में मेरी शख़्शियत
तेरी वजह से रहबर
रूठी हूँ मैं ख़फ़ा हूँ
ख़ुदा तेरी शरारत में।
उम्र भर के सारे तप को
धूसरित किया है तुमने
लाऊँ पहले सी कैसे उर्जा
पस्त हौसले किए हैं तुमने
ख़ुदग़र्ज़ तूं भी मालिक
शिकवा करुं भी किससे
झूठी वक़्त जाया की मैं
ख़ुदा तेरी ज़ियारत में।
अहमक़ हुई मैं साबित
तुझसे आसरा लगा के
रहमोकरम पे ख़त्म तेरे
इस जनम के सब इरादे
शेष कितनी ज़िन्दगानी
अब क्या होगा जाने आगे
कभी इसरार ना करुँगी
ख़ुदा तेरी अदालत में।
कभी इसरार ना करुँगी
ख़ुदा तेरी अदालत में।
सलाहियत ना मेरी देखी
आलमग़ीर जबकि था तूं
रियासत में हुआ ज़ुर्म तेरे
इस रज़ा में जबकि था तूं
आलमग़ीर जबकि था तूं
रियासत में हुआ ज़ुर्म तेरे
इस रज़ा में जबकि था तूं
ना मुझसा कोई अफ़जल
ना आला सभा में ज़ालिम
हुई कितनी जालसाज़ी
ना आला सभा में ज़ालिम
हुई कितनी जालसाज़ी
ख़ुदा तेरी सिफ़ारत में।
अक़ीदत--आस्था, एहतराम--सम्मान
शफ़्फ़ाफ़---पारदर्शी, तौकीर--प्रतिष्ठा,
इज़ाबत--स्वीकृति मंजूरी, सैय्यद --सरदार,
सियासत ---कूटनीति, रहबर ---मार्गदर्शक,
इसरार---आग्रह, ज़ियारत --धर्मस्थल दर्शन,
अहमक़---मूर्ख, सलाहियत --योग्यता,पात्रता,
आलमग़ीर विश्वव्यापी, अफ़ज़ल --सर्वश्रेठ,
सिफ़ारत --नुमाइंदगी अध्यक्षता।
शैल सिंह
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