शनिवार, 29 अप्रैल 2017

गज़ल '' रख दिया जगत के सामने ''

      गज़ल 


ख़ामोशियों से धो दिया 
हसरतों के दाग को ,

सुर,साज़,गज़ल ढाल लिया
दर्द की हर आह को
सजल हुए जब नैन कभी
बदल दिया मिज़ाज को ,

मनहूसियत,चिंता,हताशा
औ घेरे हुए अज़ाब को
पिला ख़ुशी की घुट्टियाँ
रंगीन कर लिया अंदाज़ को ,

क्या-क्या न गुजरी ज़िंदगी में
ग्रहण लगे जब ख़्वाब को
कर लिया तम को हरने वास्ते
रौशन दिल-ए-आफ़ताब को ,

जब ग़म पहाड़ बन गए
हर वेदना की आग को
रख दिया जगत के सामने
खोल अंतर्द्वंद के किताब को ,

सत्कर्म,निष्ठा ईमान,श्रम की
सजा मिलती है क्यों बेदाग को
व्यर्थ संघर्ष होते,पस्त हौसले
मौन पीये अन्याय के तेज़ाब को ,

जो समझे खुद को तीसमारखाँ
कोई बता दे उस ज़नाब को
सामने रख के इक आईना
उतार लेगा फिर नक़ाब को ,

परख चल आएंगी खुद मन्ज़िलें
उठेंगे हज़ारों हाथ आदाब को
ना टूटो ना तुम बिखरो शैल
पंख लगेंगे नैनों में बसे ख़्वाब को |

                             शैल सिंह

शनिवार, 15 अप्रैल 2017

'' हर शब स्याही चांद की भी रोशनाई में ''. एक मधुर गीत

एक मधुर गीत

हर शब स्याही चांद की भी रोशनाई में 


कैसे कटे दिन-रैन तेरी जुदाई में
नैना भरे बरसात झरें तन्हाई में,

तुम जबसे गये ये छोड़ नगर
मुझे वीरां-वीरां लगे शहर
हवा भी रूठ गयी गुलिस्तां से
अजनवी लगे हर गली डगर
फब़े ना ज़िस्म लिबास भरी तरूनाई में
अब वो आबोहवा रूवाब नहीं अरूनाई में,

कैसे कटे दिन-रैन तेरी जुदाई में
नैना भरे बरसात झरें तन्हाई में,

तुझे जबसे नज़र में क़ैद किया
कभी ख़्वाब ना देखा और कोई
तेरी याद में गुजरी शामों-सहर
दूजा शौक़ ना पाला और कोई
बोले ना चूडी़ खनखन सूनी कलाई में
पैंजनी भी रूनझुन ना झनकी अंगनाई में,

कैसे कटे दिन-रैन तेरी जुदाई में
नैना भरे बरसात झरें तन्हाई में,

इस क़दर हुआ बदनाम इश्क़ 
हमें दर्द का तोहफ़ा मुफ़्त मिला
ख़्वाहिशों पर पहरे लगे दहर के
मौसम भी रंग बदला बहुत गिला
हर शब स्याही चाँद की भी रोशनाई में
जहर लगे कूक कोयल की भी अमराई में,

कैसे कटे दिन-रैन तेरी जुदाई में
नैना भरे बरसात झरें तन्हाई में,

इक दिन खिले थे हम गुंचों की तरह
किरनों की तरह बिखरा जलवा
तेरे शुष्क मिज़ाज से हैरां है दिल
इस दौरां क्या गुजरी तुम बेपरवाह
आनन्द नहीं महफ़िलों की रंगों रूबाई में
ना थिरकन में लोच कोई हो धुन शहनाई में ,

कैसे कटे दिन-रैन तेरी जुदाई में
नैना भरे बरसात झरें तन्हाई में ।
                                               शैल सिंह