सोमवार, 25 जून 2018

गज़ल ' मुझसे बिछड़ने के बाद '

 मुझसे बिछड़ने के बाद


मुझमें ख़ामियाँ ढूंढ़ते-ढूंढ़ते
भूल गए तुम मेहरबानियां मेरी,

वक़्त बदला जरूर बदली नहीं मैं
कब मिटा पाये तुम निशानियां मेरी,

सुना है चर्चे जुबान पर सबके आज भी 
सुनाते बड़े चाव से हो तुम कहानियां मेरी,

इतना आसां नहीं भूल जाना इस नाचीज़ को 
पीछा करेंगी तेरा ताउम्र बेज़ुबां परछाईयां मेरी,

चाँदनी रात में जब होगे तनहा छत की मुंडेर पर
तड़प कर रह जाओगे आयेंगी याद अंगड़ाईयां मेरी,

खुला रखना गुजरे वक़्त के यादों की सारी खिड़कियां
बेआवाज़ देंगी दस्तक़ क्यूँकि बेवफ़ा नहीं वफ़ाइयाँ मेरी,

वक़्त औ हालात लेकर चले थे साथ,दिल पर हुकूमत करने
मापे हद मोहब्बत की,न दिल में उतर दिल की गहराईयां मेरी,

तकेंगे दरों-दीवार तुझे अज़नबी की तरह मुझसे बिछड़ने के बाद
संजीदा हो बयां करना बेबाक़,चंद अल्फ़ाज़ में सही अच्छाईयां मेरी।

                                                                शैल सिंह